श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.73.28 
 
 
ततस्तद्राम पम्पायास्तीरमाश्रित्य पश्चिमम्।
आश्रमस्थानमतुलं गुह्यं काकुत्स्थ पश्यसि॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  ततपश्चात् तुम पम्पा के पश्चिमी तट पर जाकर एक अनुपम आश्रम देखोगे, जो कि गुप्त है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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