सभी ऋषि तो चले गए हैं, किंतु उनकी सेवा में रहने वाली तपस्विनी शबरी आज भी वहाँ दिखाई देती हैं। हे काकुत्स्थ! शबरी चिरंजीवी होकर सदा धर्म के अनुष्ठान में लगी रहती हैं। हे श्रीराम! आप समस्त प्राणियों के लिए नित्य वंदनीय और देवता के तुल्य हैं। आपको देखकर शबरी स्वर्गलोक (साकेतधाम) को चली जाएँगी।