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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना
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श्लोक 20-21h
श्लोक
3.73.20-21h
सायाह्ने विचरन् राम विटपी माल्यधारिण:॥ २०॥
शिवोदकं च पम्पायां दृष्ट्वा शोकं विहास्यसि।
अनुवाद
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श्री राम! संध्या के समय विचरण करते हुए आप बड़ी-बड़ी डालियों वाले, फूलों से लदे वृक्षों और पम्पा के ठंडे पानी को देखकर अपना दुख भूल जाएंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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