श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 19-20h
 
 
श्लोक  3.73.19-20h 
 
 
अपां लोभादुपावृत्तान् वृषभानिव नर्दत:॥ १९॥
स्थूलान् पीतांश्च पम्पायां द्रक्ष्यसि त्वं नरोत्तम।
 
 
अनुवाद
 
  नरश्रेष्ठ! पानी की चाह में पम्पा नदी के किनारे इकट्ठा हुए भालू साँड़ों की तरह गर्जन कर रहे हैं। उनके शरीर मोटे और रंग पीले हैं। आप उन सबको वहाँ देख सकते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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