श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 12-13
 
 
श्लोक  3.73.12-13 
 
 
तत्र हंसा: प्लवा: क्रौञ्चा: कुरराश्चैव राघव॥ १२॥
वल्गुस्वरा निकूजन्ति पम्पासलिलगोचरा:।
नोद्विजन्ते नरान् दृष्ट्वा वधस्याकोविदा: शुभा:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘रघुनन्दन! पम्पा सरोवर के जल में रहने वाले हंस, कारण्डव, क्रौञ्च और कुरर पक्षी बहुत ही सुन्दर होते हैं। ये पक्षी सदा मधुर स्वर में कूजते रहते हैं। ये पक्षी मनुष्यों को देखकर भी नहीं घबराते हैं क्योंकि उन्हें किसी मनुष्य द्वारा मारे जाने का भय नहीं रहता।’
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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