श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 73: दिव्य रूपधारी कबन्ध का श्रीराम और लक्ष्मण को ऋष्यमूक और पम्पासरोवर का मार्ग बताना तथा मतङ्गमुनि के वन एवं आश्रम का परिचय देकर प्रस्थान करना  »  श्लोक 10-11h
 
 
श्लोक  3.73.10-11h 
 
 
चङ्क्रमन्तौ वरान् शैलान् शैलाच्छैलं वनाद् वनम्॥ १०॥
तत: पुष्करिणीं वीरौ पम्पां नाम गमिष्यथ:।
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार सुन्दर पहाड़ों पर घूमते-घूमते आप भाईयों में से एक को एक पर्वत से दूसरे पर्वत पर तथा एक जंगल से दूसरे जंगल में ले जाएँगे। इस तरह बहुत सारे पर्वतों और जंगलों को लांघने के बाद आप दोनों वीर पम्पा नाम की झील के किनारे पहुँचेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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