दशाभागगतो हीनस्त्वं हि राम सलक्ष्मण:।
यत्कृते व्यसनं प्राप्तं त्वया दारप्रधर्षणम्॥ ९॥
अनुवाद
श्रीराम! आप और लक्ष्मण बुरी ग्रह-दशा के कारण ही दुःखी हो रहे हैं, इसलिए आप राज्य से वंचित हो गए हैं और इसी कारण से आपको अपनी पत्नी के अपहरण का बड़ा दुःख मिला है।