श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 72: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा चिता की आग में कबन्ध का दाह तथा उसका दिव्य रूप में प्रकट होकर उन्हें सग्रीव से मित्रता करने के लिये कहना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.72.9 
 
 
दशाभागगतो हीनस्त्वं हि राम सलक्ष्मण:।
यत्कृते व्यसनं प्राप्तं त्वया दारप्रधर्षणम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम! आप और लक्ष्मण बुरी ग्रह-दशा के कारण ही दुःखी हो रहे हैं, इसलिए आप राज्य से वंचित हो गए हैं और इसी कारण से आपको अपनी पत्नी के अपहरण का बड़ा दुःख मिला है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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