श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 72: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा चिता की आग में कबन्ध का दाह तथा उसका दिव्य रूप में प्रकट होकर उन्हें सग्रीव से मित्रता करने के लिये कहना  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  3.72.24-25h 
 
 
स नदीर्विपुलान् शैलान् गिरिदुर्गाणि कन्दरान्॥ २४॥
अन्विष्य वानरै: सार्धं पत्नीं तेऽधिगमिष्यति।
 
 
अनुवाद
 
  वे वानरों के संग रह करके सभी नदियों, विशाल पर्वतों, दुर्गम पहाड़ी स्थानों और गुफाओं की भी खोज कराकर आपकी पत्नी का पता लगा लेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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