श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 72: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा चिता की आग में कबन्ध का दाह तथा उसका दिव्य रूप में प्रकट होकर उन्हें सग्रीव से मित्रता करने के लिये कहना  »  श्लोक 22-23h
 
 
श्लोक  3.72.22-23h 
 
 
स हि स्थानानि कात्स्‍न्‍‍र्येन सर्वाणि कपिकुञ्जर:॥ २२॥
नरमांसाशिनां लोके नैपुण्यादधिगच्छति।
 
 
अनुवाद
 
  कपिश्रेष्ठ सुग्रीव संसार में नर मांस खाने वाले राक्षसों के जितने भी स्थान हैं, उन सभी स्थानों को अच्छी तरह से जानते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.