श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 72: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा चिता की आग में कबन्ध का दाह तथा उसका दिव्य रूप में प्रकट होकर उन्हें सग्रीव से मित्रता करने के लिये कहना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.72.20 
 
 
कृतार्थो वाकृतार्थो वा तव कृत्यं करिष्यति।
स ऋक्षरजस: पुत्र: पम्पामटति शङ्कित:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋक्षरजा के पुत्र सुग्रीव शक्तिशाली हैं और वाली के भय से पम्पासरोवर के तट पर भटक रहे हैं। वे आपके कार्य को ज़रूर पूरा करेंगे चाहे उनका अपना उद्देश्य पूरा हो या न हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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