श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 72: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा चिता की आग में कबन्ध का दाह तथा उसका दिव्य रूप में प्रकट होकर उन्हें सग्रीव से मित्रता करने के लिये कहना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.72.11 
 
 
श्रूयतां राम वक्ष्यामि सुग्रीवो नाम वानर:।
भ्रात्रा निरस्त: क्रुद्धेन वालिना शक्रसूनुना॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम! सुनिए, मैं एक पुरुष का वर्णन कर रहा हूँ जिन्हें सुग्रीव कहा जाता है। वो वानर जाति के हैं। उनके भाई, इंद्र कुमार वाली, उनसे क्रोधित थे और उन्हें घर से निकाल दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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