वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 71: कबन्ध की आत्मकथा, अपने शरीर का दाह हो जाने पर उसका श्रीराम को सीता के अन्वेषण में सहायता देने का आश्वासन
»
श्लोक 26-27h
श्लोक
3.71.26-27h
एवमुक्तस्तु रामेण वाक्यं दनुरनुत्तमम्॥ २६॥
प्रोवाच कुशलो वक्ता वक्तारमपि राघवम्।
अनुवाद
play_arrowpause
श्री रामचंद्र जी के ऐसा कहने पर कुशल वक्ता उस दानव ने प्रवचन में निपुण श्री रामजी से बड़ी ही उत्तम बात कही।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.