श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 71: कबन्ध की आत्मकथा, अपने शरीर का दाह हो जाने पर उसका श्रीराम को सीता के अन्वेषण में सहायता देने का आश्वासन  »  श्लोक 25-26h
 
 
श्लोक  3.71.25-26h 
 
 
स त्वं सीतां समाचक्ष्व येन वा यत्र वा हृता॥ २५॥
कुरु कल्याणमत्यर्थं यदि जानासि तत्त्वत:।
 
 
अनुवाद
 
  "अब तुम हमें सीता का पता बताओ। वह इस समय कहाँ है? और उसे कौन कहाँ ले गया है? यदि तुम वास्तव में जानते हो तो सीता का समाचार बताकर हमारा बहुत बड़ा भला कर सकते हो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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