श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 71: कबन्ध की आत्मकथा, अपने शरीर का दाह हो जाने पर उसका श्रीराम को सीता के अन्वेषण में सहायता देने का आश्वासन  »  श्लोक 20-21h
 
 
श्लोक  3.71.20-21h 
 
 
एवमुक्तस्तु धर्मात्मा दनुना तेन राघव:॥ २०॥
इदं जगाद वचनं लक्ष्मणस्य च पश्यत:।
 
 
अनुवाद
 
  धर्मात्मा श्री रामचंद्र जी ने उस दानव के ऐसा कहने पर लक्ष्मण के सामने उससे यह बात कही-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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