श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 71: कबन्ध की आत्मकथा, अपने शरीर का दाह हो जाने पर उसका श्रीराम को सीता के अन्वेषण में सहायता देने का आश्वासन  »  श्लोक 15-16h
 
 
श्लोक  3.71.15-16h 
 
 
स तु मामब्रवीदिन्द्रो यदा राम: सलक्ष्मण:॥ १५॥
छेत्स्यते समरे बाहू तदा स्वर्गं गमिष्यसि।
 
 
अनुवाद
 
  इंद्र ने मुझे यह भी बताया था कि जब युद्ध में श्रीराम और लक्ष्मण तुम्हारे हाथ काट देंगे, तो तुम स्वर्ग जाओगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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