वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 70: श्रीराम और लक्ष्मण का परस्पर विचार करके कबन्ध की दोनों भुजाओं को काट डालना तथा कबन्ध के द्वारा उनका स्वागत
»
श्लोक 8
श्लोक
3.70.8
ततस्तौ देशकालज्ञौ खड्गाभ्यामेव राघवौ।
अच्छिन्दन्तां सुसंहृष्टौ बाहू तस्यांसदेशत:॥ ८॥
अनुवाद
play_arrowpause
उस परिस्थिति में समय और परिस्थिति को भली-भाँति समझने वाले रघुवंशी राजकुमारों ने अत्यधिक प्रसन्नता के साथ तलवारों से ही कंधे से सटे उसकी दोनों भुजाएँ काट डालीं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.