श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 70: श्रीराम और लक्ष्मण का परस्पर विचार करके कबन्ध की दोनों भुजाओं को काट डालना तथा कबन्ध के द्वारा उनका स्वागत  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.70.8 
 
 
ततस्तौ देशकालज्ञौ खड्गाभ्यामेव राघवौ।
अच्छिन्दन्तां सुसंहृष्टौ बाहू तस्यांसदेशत:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  उस परिस्थिति में समय और परिस्थिति को भली-भाँति समझने वाले रघुवंशी राजकुमारों ने अत्यधिक प्रसन्नता के साथ तलवारों से ही कंधे से सटे उसकी दोनों भुजाएँ काट डालीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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