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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 70: श्रीराम और लक्ष्मण का परस्पर विचार करके कबन्ध की दोनों भुजाओं को काट डालना तथा कबन्ध के द्वारा उनका स्वागत
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श्लोक 4
श्लोक
3.70.4
त्वां च मां च पुरा तूर्णमादत्ते राक्षसाधम:।
तस्मादसिभ्यामस्याशु बाहू छिन्दावहे गुरू॥ ४॥
अनुवाद
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‘भैया! यह नीच राक्षस मुझको और आपको तुरंत मुँहमें ले ले, इसके पहले ही हमलोग अपनी तलवारोंसे इसकी बड़ी-बड़ी बाँहें शीघ्र ही काट डालें॥ ४॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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