श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 70: श्रीराम और लक्ष्मण का परस्पर विचार करके कबन्ध की दोनों भुजाओं को काट डालना तथा कबन्ध के द्वारा उनका स्वागत  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.70.1 
 
 
तौ तु तत्र स्थितौ दृष्ट्वा भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।
बाहुपाशपरिक्षिप्तौ कबन्धो वाक्यमब्रवीत्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  तब वहाँ अपने बाहुपाशों से घिरे हुए श्रीराम और लक्ष्मण नामक दो भाइयों को देखकर कबंध ने बात की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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