श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.7.9 
 
 
प्रतीक्षमाणस्त्वामेव नारोहेऽहं महायश:।
देवलोकमितो वीर देहं त्यक्त्वा महीतले॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  महातेजस्वी वीर! मैं तो आपकी प्रतीक्षा में ही था, इसी कारण अब तक धरती पर शरीर त्यागकर देवलोक (ब्रह्मधाम) की यात्रा नहीं कर सका।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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