श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.7.8 
 
 
स्वागतं ते रघुश्रेष्ठ राम सत्यभृतां वर।
आश्रमोऽयं त्वयाऽऽक्रान्त: सनाथ इव साम्प्रतम्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  स्वागत है रघुकुलभूषण, सत्य बोलने वालों में सर्वश्रेष्ठ श्री राम! इस समय आपके आगमन से यह आश्रम सनाथ हो गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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