श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  3.7.6 
 
 
रामोऽहमस्मि भगवन् भवन्तं द्रष्टुमागत:।
तन्माभिवद धर्मज्ञ महर्षे सत्यविक्रम॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवन्! धर्मज्ञ महर्षे! सत्यविक्रम ! मैं राम हूँ, और यहाँ आपका दर्शन करने आया हूँ। अतः आप मुझसे बात करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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