श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.7.5 
 
 
तत्र तापसमासीनं मलपङ्कजधारिणम्।
राम: सुतीक्ष्णं विधिवत् तपोधनमभाषत॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ मलपरायण तापस (तपस्वी) घोर तपस्या में लीन और ध्यानस्थ होकर बैठा था। श्री रामचंद्र जी ने उस तप व दान का भंडार मुनि के पास विधिवत जाकर इस प्रकार कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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