श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.7.4 
 
 
प्रविष्टस्तु वनं घोरं बहुपुष्पफलद्रुमम्।
ददर्शाश्रममेकान्ते चीरमालापरिष्कृतम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  घोर वन में प्रवेश करके श्रीराम जी ने एक एकांत स्थान में एक आश्रम देखा, जहाँ के वृक्ष अनेक पुष्पों और फलों से लदे हुए थे। इधर-उधर लटके हुए चीर वस्त्रों के समूह उस आश्रम की शोभा बढ़ा रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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