श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.7.22 
 
 
एतस्मिन्नाश्रमे वासं चिरं तु न समर्थये।
तमेवमुक्त्वोपरमं राम: संध्यामुपागमत्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  इस कारण से मैं इस आश्रम में अधिक समय नहीं रह सकता। यह कहकर मौन होकर श्रीरामचंद्र जी संध्या की उपासना करने चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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