श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 20-21
 
 
श्लोक  3.7.20-21 
 
 
तानहं सुमहाभाग मृगसंघान् समागतान्॥ २०॥
हन्यां निशितधारेण शरेणानतपर्वणा।
भवांस्तत्राभिषज्येत किं स्यात् कृच्छ्रतरं तत:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘महाभाग! यहाँ आये हुए उन उपद्रवकारी मृगसमूहोंको यदि मैं झुकी हुई गाँठ और तीखी धारवाले बाणसे मार डालूँ तो इसमें आपका अपमान होगा। यदि ऐसा हुआ तो इससे बढ़कर कष्टकी बात मेरे लिये और क्या हो सकती है?॥ २०-२१॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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