श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 19-20h
 
 
श्लोक  3.7.19-20h 
 
 
नान्यो दोषो भवेदत्र मृगेभ्योऽन्यत्र विद्धि वै।
तच्छ्रुत्वा वचनं तस्य महर्षेर्लक्ष्मणाग्रज:॥ १९॥
उवाच वचनं धीरो विगृह्य सशरं धनु:।
 
 
अनुवाद
 
  महर्षि के यह वचन सुनकर लक्ष्मण के बड़े भाई, धीरवीर भगवान श्रीराम ने हाथ में धनुष-बाण लेकर कहा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.