श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.7.18 
 
 
इममाश्रममागम्य मृगसंघा महीयस:।
अहत्वा प्रतिगच्छन्ति लोभयित्वाकुतोभया:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  इनके आश्रम में बड़े-बड़े हिरणों का झुंड आया करता था और अपने रूप, कान्ति और गति से सबका मन मोह लेते थे। परन्तु किसी को तकलीफ दिए बिना ही वहाँ से वापिस चले जाते थे। उन्हें वहाँ किसी से कोई डर नहीं लगता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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