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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना
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श्लोक 17
श्लोक
3.7.17
अयमेवाश्रमो राम गुणवान् रम्यतामिति।
ऋषिसंघानुचरित: सदा मूलफलैर्युत:॥ १७॥
अनुवाद
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श्रीराम! यह आश्रम गुणवान् (सुंदर एवं सुविधाजनक) है, इसलिए आप यहीं आराम से रह सकते हैं। यहां ऋषियों का समुदाय हमेशा आता-जाता रहता है, और फल-मूल भी हर समय उपलब्ध होते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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