श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.7.15 
 
 
भवान् सर्वत्र कुशल: सर्वभूतहिते रत:।
आख्यातं शरभङ्गेन गौतमेन महात्मना॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  "गौतम गोत्र के महान व्यक्ति शरभंग ने मुझसे कहा था कि आप सभी प्राणियों के कल्याण में तत्पर रहते हैं और इस लोक और परलोक की सभी बातों के ज्ञान में निपुण हैं।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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