श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  3.7.14 
 
 
अहमेवाहरिष्यामि स्वयं लोकान् महामुने।
आवासं त्वहमिच्छामि प्रदिष्टमिह कानने॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  महामुने! लोक तो मैं आपको स्वयं प्राप्त करा दूँगा। पर इस समय मेरी इच्छा है कि आप यह बताएँ कि इस वन में मैं अपने रहने के लिए कहाँ कुटी बनाऊँ?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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