श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 7: सीता और भ्राता सहित श्रीराम का सुतीक्ष्ण के आश्रम पर जाकर उनसे बातचीत करना तथा उनसे सत्कृत हो रात में वहीं ठहरना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.7.12 
 
 
तेषु देवर्षिजुष्टेषु जितेषु तपसा मया।
मत्प्रसादात् सभार्यस्त्वं विहरस्व सलक्ष्मण:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरे कथनानुसार मैंने तपस्या के जरिए जिन देवताओं और ऋषियों से आशीर्वादित दुनिया पर अधिकार प्राप्त किया है, उन दुनिया में आप सीता और लक्ष्मण के साथ विचरण करें। मैं बड़ी ख़ुशी के साथ वो सारी दुनिया आपके काम की खातिर समर्पित करता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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