श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.69.9 
 
 
दृष्ट्वा तु तद् वनं घोरं बहुभीममृगद्विजम्।
नानावृक्षसमाकीर्णं सर्वं गहनपादपम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  देखते ही वह वन बड़ा ही घोर लगा। उसमें बहुत से भयानक पशु-पक्षी रहते थे। तरह-तरह के वृक्षों से भरा वह सारा जंगल घनी झाड़ियों से भरा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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