दृढ़सत्यविक्रम महायशा दाशरथि प्रतापवान श्रीराम ने यह कहते हुए सौमित्रि की ओर देखा और अपनी बुद्धि को स्थिर किया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकोनसप्ततितम: सर्ग: ॥ ६ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें उनहत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ९॥