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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना
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श्लोक 50
श्लोक
3.69.50
शूराश्च बलवन्तश्च कृतास्त्राश्च रणाजिरे।
कालाभिपन्ना: सीदन्ति यथा वालुकसेतव:॥ ५०॥
अनुवाद
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रेत से बने पुल जैसे पानी के झोंकों से ढह जाते हैं ठीक उसी प्रकार युद्ध के मैदान में काल के वशीभूत होकर बड़े-बड़े वीर पुरुष, बलशाली और शस्त्रों के ज्ञाता भी दुःख में पड़ जाते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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