श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.69.5 
 
 
तत: परं जनस्थानात् त्रिकोशं गम्य राघवौ।
क्रौञ्चारण्यं विविशतुर्गहनं तौ महौजसौ॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनन्तर श्रीराम और लक्ष्मण जनस्थान से तीन कोस दूर चलकर क्रौञ्चारण्य नामक गहन वन के भीतर गये। यह वन बहुत घना था और इसमें कई प्रकार के पशु-पक्षी निवास करते थे। श्रीराम और लक्ष्मण इस वन में घूमते हुए आगे बढ़ रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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