वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना
»
श्लोक 39
श्लोक
3.69.39
मयैकेन तु निर्युक्त: परिमुच्यस्व राघव।
मां हि भूतबलिं दत्त्वा पलायस्व यथासुखम्॥ ३९॥
अनुवाद
play_arrowpause
राघवन! तू मुझे ही इस दानव को अर्पित कर स्वयं उसके चंगुल से मुक्त हो जा। इस भूत को मेरा बलिदान देकर तू यहाँ से सुखपूर्वक भाग सकता है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.