श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.69.38 
 
 
उवाच च विषण्ण: सन् राघवं राघवानुज:।
पश्य मां विवशं वीर राक्षसस्य वशंगतम्॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  देखिए, राक्षस के वश में आने से मैं विवश हो गया हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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