श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.69.25 
 
 
संवेष्टितमिवात्यर्थं गहनं मातरिश्वना।
वनस्य तस्य शब्दोऽभूद् वनमापूरयन्निव॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  उस घने जंगल में आँधी तेज गति से चलने लगी। सारा जंगल उसकी चपेट में आ गया। जंगल में आँधी के कारण जो आवाज उत्पन्न हुई, उसने पूरे जंगल को गुंजायमान कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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