स्पन्दते मे दृढं बाहुरुद्विग्नमिव मे मन:।
प्रायशश्चाप्यनिष्टानि निमित्तान्युपलक्षये॥ २१॥
तस्मात् सज्जीभवार्य त्वं कुरुष्व वचनं मम।
ममैव हि निमित्तानि सद्य: शंसन्ति सम्भ्रमम्॥ २२॥
अनुवाद
आर्य! मेरा बायाँ हाथ जोर-जोर से फड़क रहा है और मेरा मन बहुत ही व्याकुल हो रहा है। मुझे बार-बार बुरे शकुन दिखाई दे रहे हैं, इसलिए आपको भय का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। मेरी बात मानिए, ये जो बुरे शकुन हैं, वो केवल मुझे ही तत्काल आने वाले भय की सूचना दे रहे हैं।