वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना
»
श्लोक 20
श्लोक
3.69.20
लक्ष्मणस्तु महातेजा: सत्त्ववाञ्छीलवाञ्छुचि:।
अब्रवीत् प्राञ्जलिर्वाक्यं भ्रातरं दीप्ततेजसम्॥ २०॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब धैर्यवान और पवित्र आचरण वाले महातेजस्वी लक्ष्मण ने अपने हाथ जोड़कर अपने तेजस्वी भाई श्री रामचंद्रजी से कहा-
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.