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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना
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श्लोक 15
श्लोक
3.69.15
उवाच चैनं वचनं सौमित्रिमुपगुह्य च।
अहं त्वयोमुखी नाम लाभस्ते त्वमसि प्रिय:॥ १५॥
अनुवाद
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यह सुनकर सुमित्रा कुमार ने अयोमुखी को अपनी बाहों में भरकर कहा, "मेरा नाम सुमित्रा कुमार है। यदि मैं तुम्हें पत्नीरूप में प्राप्त हो जाऊँ तो समझो तुमको बहुत बड़ा लाभ हुआ और तुम मेरे प्यारे पति हो।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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