श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 69: लक्ष्मण का अयोमुखी को दण्ड देना तथा श्रीराम और लक्ष्मण का कबन्ध के बाहुबन्ध में पड़कर चिन्तित होना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.69.10 
 
 
ददृशाते गिरौ तत्र दरीं दशरथात्मजौ।
पातालसमगम्भीरां तमसा नित्यसंवृताम्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ पहुँचकर दशरथ राजकुमारों को वहाँ के पर्वत पर एक गुफा दिखाई दी। वह गुफा पाताल के समान गहरी थी और हमेशा अंधकार से ढकी रहती थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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