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श्लोक 9
श्लोक
3.68.9
सा हृता राक्षसेन्द्रेण रावणेन दुरात्मना।
मायामास्थाय विपुलां वातदुर्दिनसंकुलाम्॥ ९॥
अनुवाद
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रघुनन्दन! दुरात्मा राक्षसराज रावण ने विस्तृत माया का सहारा लेकर वायु-वर्षा की सृष्टि कर (घबराहट की स्थिति में) सीता का अपहरण कर लिया था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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