श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 68: जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा उनका दाह-संस्कार  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.68.8 
 
 
तमुद्वीक्ष्य स धर्मात्मा विलपन्तमनाथवत्।
वाचा विक्लवया राममिदं वचनमब्रवीत्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार अनाथ की भाँति विलाप करते हुए जटायु ने श्रीराम की ओर देखा और अपनी काँपती हुई जुबान से धीरे-धीरे बोलना शुरू किया—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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