वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 68: जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा उनका दाह-संस्कार
»
श्लोक 6
श्लोक
3.68.6
कथं तच्चन्द्रसंकाशं मुखमासीन्मनोहरम्।
सीतया कानि चोक्तानि तस्मिन् काले द्विजोत्तम॥ ६॥
अनुवाद
play_arrowpause
पक्षिराज! सीता के चन्द्रमा के समान मनोहर मुख की दशा क्या हो गई थी? तथा उस समय सीता ने द्विजोत्तम! कौन-कौन सी बातें कही थीं?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.