तत्पश्चात् बलशाली श्रीराम लक्ष्मण के साथ वन में जाकर मोटे-मोटे महारोही (एक प्रकार का कंदमूल) काटकर ले आये और जटायु को अर्पित करने के उद्देश्य से उन्होंने जमीन पर कुश बिछाये। बहुत यशस्वी श्रीराम ने उन रोही के गूदे निकालकर उनका पिंड बनाया और उन सुंदर हरी-भरी कुशाओं पर जटायु को पिंडदान किया।