श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 68: जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा उनका दाह-संस्कार  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.68.28 
 
 
नाथं पतगलोकस्य चितिमारोपयाम्यहम्।
इमं धक्ष्यामि सौमित्रे हतं रौद्रेण रक्षसा॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘सुमित्राकुमार! उस भयंकर राक्षसके द्वारा मारे गये इन पक्षिराजको मैं चितापर चढ़ाऊँगा और इनका दाह-संस्कार करूँगा’॥ २८॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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