श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 68: जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा उनका दाह-संस्कार  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.68.19 
 
 
तं गृध्रं प्रेक्ष्य ताम्राक्षं गतासुमचलोपमम्।
राम: सुबहुभिर्दु:खैर्दीन: सौमित्रिमब्रवीत्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  गृधराज जटायु की आँखें लाल रंग की थीं। प्राण निकल जाने के कारण वे पर्वत के समान अचल हो गये थे। श्रीराम ने उन्हें इस अवस्था में देखकर बहुत दुःखी हुए और सुमित्रा कुमार से कहा-
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.