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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 68: जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा उनका दाह-संस्कार
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श्लोक 1
श्लोक
3.68.1
राम: प्रेक्ष्य तु तं गृध्रं भुवि रौद्रेण पातितम्।
सौमित्रिं मित्रसम्पन्नमिदं वचनमब्रवीत्॥ १॥
अनुवाद
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देखो सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण! भयंकर राक्षस रावण ने जिसे पृथ्वी पर गिरा दिया था, उस गृध्रराज जटायु की ओर दृष्टि डालकर मित्रोचित गुणों से युक्त श्रीराम ने यह वचन कहे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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