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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 67: श्रीराम और लक्ष्मण की पक्षिराज जटायु से भेंट तथा श्रीराम का उन्हें गले से लगाकर रोना
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श्लोक 4
श्लोक
3.67.4
तं तथा परितापार्तं लक्ष्मणो वाक्यमब्रवीत्।
इदमेव जनस्थानं त्वमन्वेषितुमर्हसि॥ ४॥
अनुवाद
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भ्रातः ! तुम्हें सीता जी को खोजने के लिए यहीं इस जनस्थान में रहना चाहिए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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